नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि | दुर्गा पूजा विधि | Durgapuja Bidhi | Durgapooja Aarti | Navratri Puja bidhi
#द्वितीय_ब्रह्मचारिणी 🙏🚩

दघाना करपद्माभ्यामक्षमालाकमण्डलू
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।
नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। मां ब्रह्मचारिणी की पूजा तप, शक्ति ,त्याग ,सदाचार, संयम और वैराग्य में वृद्धि करती है और शत्रुओं का नाश करती है। देवी के इस रूप को माता पार्वती का अविवाहित रूप माना जाता है।
ब्रह्मचारिणी संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ, ब्रह्म के समान आचरण करने वाली है। इन्हें कठोर तपस्या करने के कारण तपश्चारिणी भी कहा जाता है। वहीं ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार देवी ब्रह्मचारिणी मंगल ग्रह को नियंत्रित करती हैं। देवी की पूजा से मंगल ग्रह के बुरे प्रभाव कम होते हैं।
ध्यान रखिएगा कि मां ब्रह्मचारिणी को आज के दिन मिश्री, चीनी और पंचामृत का भोग अवश्य चढ़ाना चाहिए।
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पौराणिक मान्यताओं के अनुसार....
पौराणिक मान्यता के अनुसार देवी पार्वती ने भगवान शिव से विवाह करने की इच्छा व्यक्त की, जिसके बाद उनके माता-पिता उन्हें हतोत्साहित करने की कोशिश करने लगे। हालांकि इन सबके बावजूद देवी ने भगवान कामदेव से मदद की गुहार लगाई। ऐसा कहा जाता है कि कामदेव ने शिव पर कामवासना का तीर छोड़ा और उस तीर ने शिव की ध्यानावस्था में खलल उत्पन्न कर दिया, जिससे भगवान शंकर आगबबूला हो गए और उन्होंने कामदेव को भस्म कर दिया। बात यहीं खत्म् नहीं हुई और इसके बाद देवी पार्वती ने शिव की तरह जीना आरंभ कर दिया। देवी पर्वत पर गईं और वहां उन्होंने कई वर्षों तक घोर तपस्या की, जिसके कारण उन्हें ब्रह्मचारिणी नाम दिया गया। इस कठोर तपस्या से देवी ने भगवान शंकर का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया। इसके बाद भगवान शिव अपना रूप बदलकर पार्वती के पास गए और अपनी यानि शिव की ही बुराई की, लेकिन देवी ने उनकी एक न सुनी। अंत में शिव जी ने उन्हें अपनाया और विवाह किया।
माता ब्रह्मचारिणी श्वेत वस्त्र में सुशोभित हैं, उनके दाहिने हाथ में जप माला और बायें हाथ में कमण्डल है। देवी का स्वरूप अत्यंत तेज़ और ज्योतिर्मय है। साथ ही देवी प्रेेम स्वरूप भी हैं।
माँ ब्रह्मचारिणी आप सभी के जीवन में सुख, समृद्धि, ऐश्वर्य और शांति प्रदान करें, जय माता राणी..🙏🚩
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